हमारे संसथान में कई ऐसे जातक आते हैं जो ये कहते हैं कि हमको फलानी साधना सीखनी है .. उनसे यदि पूछा जाए कि अपने पहले कोई साधना या सिद्धि की है ? तो बड़े ही आसानी से कह देंगे जी हाँ में शिव जी की साधना कर चूका हु या फलानि सिद्धि कर चूका हूँ . और यदि उनसे सिद्धि , साधना , पूजा , भक्ति में अंतर पूछा जाये तो उनको ज्ञान नहीं होता . आजकल समाज में ज्ञान के नाम पर जो भ्रम फैला है उसके क्या ही कहने . उन जातकों को बस यही लगता है यदि वह किसी तांत्रिक शक्ति की पूजा या मंत्र जाप कर रहे हैं तो सिद्धि या साधना कर रहे हैं और उम्मीद लगाए बैठे हैं की उनकी इच्छा अवश्य पूरी होगी . इसमें उन जातको का दोष नहीं उन फर्जी गुरुओ का है जो सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित हैं .
आज हम आपको एक विशेष शक्ति की साधना के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको खासकर दीवाली के रात्रि से ही शुरू किया जाता है एवं धनदायी है .
( Today we are going to tell you about the practice of a special power, which is especially started on the night of Diwali and is beneficial for wealth. )
( Many such people come to our Organization who say that they want to learn such and such sadhana. If we ask them whether they have done any sadhana or siddhi before? Then they will very easily say that yes, I have done the sadhana of Lord Shiva or have achieved such and such siddhi. And if you ask the difference between your accomplishment, sadhana, worship and devotion, then there is no other knowledge. Just observe the confusion that is spread in the name of knowledge in these societies. Those people just feel that if they are worshiping some Tantric power or chanting mantra, then they are doing Siddhi or Sadhana and are hoping that their wish will definitely be fulfilled. It is not the fault of those people but of those fake gurus who are limited only to social media. )

यक्ष एवं यक्षिणी - ये शब्द आप में से कई लोगो ने अवश्य ही सुना होगा . ( Yaksha and Yakshini - many of you must have heard these words.)
यक्ष या यक्षिणी शब्द का अर्थ है जादुई ताकत . जिनका उल्लेख हिन्दू , जैन एवं बौद्ध धर्मों में भी मिलता है. मुस्लिम धर्म में इनको परिया एवं पश्चिमी संस्कृति में इनको फैरिएस ( Fairies) बोला जाता है . धन के देवता कुबेर भी यक्ष हैं . हिन्दू ग्रंथो में महाभारत , रामायण आदि सभी प्रसंगों में यक्षों का नाम कई बार आता है . यक्ष आधे देवता एवं आधे राक्षस योनि के माने जाते हैं इसलिए इनके पास दोनों ही प्रकार की प्रवृत्ति एवं शक्ति होती है . ये अगर किसी पर मेहरबान हो जाएं तो ऐसे इंसान को किसी चीज की कमी नहीं रहती है . आज हम ऐसी ही एक यक्षिणी की साधना के बारे में बात करेंगे .
(( The word Yaksha or Yakshini means magical power. Whose mention is also found in Hindu, Jain and Buddhist religions. In Muslim religion they are called pariahs and in western culture they are called fairies. Kuber, the god of wealth, is also a Yaksha. In Hindu scriptures, the name of Yakshas appears many times in all the contexts like Mahabharata, Ramayana etc. Yakshas are considered to be half gods and half demons, hence they have both types of tendencies and powers. If he is kind to someone then such a person does not lack anything. Today we will talk about the sadhana of one such Yakshini.))
हिन्दू ग्रंथो में यक्षिणियों की संख्या 36 बताई गयी है सभी की शक्तिया और विशेषताएं अलग होती हैं . आज हम बात करेने धनदा रतिप्रिया यक्षिणी साधना के बारे में जो की भगवान शिव की गणिकाओं में प्रमुख हैं एवं अपने साधक को अपार धन देती हैं .
(( In Hindu scriptures, the number of Yakshinis is stated to be 36. All of them have different powers and characteristics. Today we will talk about Dhanada Ratipriya Yakshini Sadhana, who is prominent among the courtesans of Lord Shiva and gives immense wealth to her devotee. ))
'' देवी धनदा रतिप्रिया यक्षिणी साधना ''
धनदा नाम से ही आपको समझ जाना चाहिए कि वह धन दायनी हैं और उनमें महालक्ष्मी की सभी शक्तियां हैं।
यदि आप साधक हैं और किसी भी स्त्री शक्ति की साधना करना चाहते हैं चाहे वह - यक्षिणी , योगिनी , पिसाचिनि , डाकिनी , शाकिनी कोई भी हो तीन रूपों में प्रसन्नकर सकते हो - माँ , मित्र , पत्नी / प्रेमिका .
किसी भी साधना को करने से पहले उस शक्ति के साधक योग्य गुरु से दीक्षा लेकर , गुरु के मार्गदर्शन में ही साधना की जाती है , क्युकी साधना या सिद्धि दोधारी तलवार की तरह होती है जिससे गुरु ही आपको बचा सकते हैं .
'' इस साधना की सामग्री ''
धनदा रत्नप्रिया यक्षिणी यन्त्र ,
तंत्रोक्त 36 यक्षिणी सतहपना ,
जाप हेतु मणिमाल ,
108 मोतियों की माला ,
खुश का इत्र ,
पीताम्बर ,
पीले पुष्प
पीली मिठाई
'' धनदा रतिप्रिया यक्षिणी तंत्रोक्त साधना विधान ''
इस साधना को ग्रहण , शुक्ल त्रयोदशी , यक्षिणी जयंती , दिवाली , होली , धनतेरस , एवं अन्य तंत्रोक्त मुहूर्त में शुरू किया जा सकता है .
पूजन स्थान में शुद्ध होकर गुरु चादर ओढ़कर उत्तराभिमुख होकर बैठें, ऐसे स्थान पर बैठे जहा साधना के दौरान आपके अलावा कोई न आये.
साधना के बीच में किसी भी स्थिति में नहीं उठना है तो सम्पूर्ण सामग्री लेकर ही बैठें.
गुरु पूजन एवं गुरु आज्ञा से साधना शुरू करें.
इस साधना में कामदेव एवं कुबेर पूजन अनिवार्य है .
विनोयोग एवं न्यास करके प्राण प्रतिष्ठा एवं संकल्प लिया जाये .
तंत्रोक्त 36 लक्ष्मी रूप का पूजन एवं आवाहन करें , फिर वीर मुद्रा में बैठकर साधना शुरू करें .
यदि आप ग्रहण काल में साधना करेंगे तो 11- 21 - 51- 101 माला एक बार में करके साधना 1 दिन में ही पूरी कर सकते हैं क्युकी ग्रहण में साधना का फल 100 गुना मिलता है , अन्यथा साधना 41 दिनों की है .
साधना के अंत में धनेश्वरी देवी अवश्य ही आती हैं एवं आपकी दरिद्रता दूर करती हैं.
साधना के अंत में दुसरे दिन सामग्री को विसर्जित कर देना है .
'' मंत्र ''
'' ॐ रं श्रीं ह्रीं धं धनदे रतिप्रिये स्वाहा। ''
By - International Occultist & Astrologer Deepali Tiwari
Founder - Mdjass ( Maa Dhumawati jyotish Anusandhan Evam Seva Sansthan Reg.- 45-0003224)
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Bahut achhi baat batai hai ....